परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व के कई देशों से आये योग जिज्ञासुआंे और परमार्थ निकेतन के योगाचार्यो ने दीप प्रज्वलित कर योग टीचर ट्रेनिंग कोर्स का शुभारम्भ किया।
विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासु परमार्थ निकेतन के पवित्र वातावरण में योग, ध्यान की विभिन्न विधायें, वैदिक मंत्रोंपचार, प्राणयाम, यज्ञ, आयुर्वेद, वेदान्त दर्शन दिव्य गंगा आरती, सत्संग आदि अनेक आध्यात्मिक विधाओं को आत्मसात कर रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग केवल आसन नहीं है बल्कि यह जीवन को आसान बना देता है। योग, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक चेतना जागृत कराता है। योग अर्थात जुड़ना, शरीर व चेतना का मिलन कराता है योग। साथ ही विश्व की विभिन्न संस्कृतियों का भी मिलन योग के माध्यम से होता है। योग शारीरिक व मानसिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त कराता है। योग के माध्यम से स्वयं के जीवन और आसपास के वातावरण में तनाव मुक्त वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि ‘‘योगः कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात् योग से कर्मों में कुश्लता आती है। व्यावहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है। आप सभी यहां से योग की विधाओं के साथ प्रकृति व पर्यावरण के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का संदेश लेकर जायें।
स्वामी जी ने कहा कि योग के आठ अंगों के माध्यम से आठों आयामों का अभ्यास कराया जाता है। यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि आदि योग के आठ अंग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति से हमें जोड़ते हैं। हमारी बदलती जीवनशैली में योग चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। योग वास्तव में जीवन जीने की एक कला है, जिसका लक्ष्य है- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन से है। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता है। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है, प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार और स्वस्थ्य जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिलती है।
योग के महत्त्व को देखते हुए आज पूरा विश्व इसे पूरे मनोयोग से अपना रहा है। अब हमें उस योग की शुरुआत करनी होगी जो हमारे जीवन – हमारे पर्यावरण दोनों को स्वस्थ रखे। अगर हमारी हवा, और जल, मिट्टी प्रदूषित हैं तो हम खुद को कैसे स्वस्थ रख सकते हंै। हमें यह याद रखना होगा कि हम उतने ही स्वस्थ रह सकते हैं जितना हमारा पर्यावरण शुद्ध और स्वस्थ रहेगा इसलिये अब हमें योग के साथ मानवता के लिये योग, पर्यावरण के लिये योग पर भी ध्यान देना होगा। हमें योग के साथ अब पर्यावरण योग पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
योगाचार्य आभा सरस्वती जी, सुश्री गंगा नन्दिनी जी, विमल बधावन जी, डा अविनाश व भारती लेले, प्रीति पंधेर, प्राची पोखरियाल, गायत्री गुप्ता जी के मार्गदर्शन में कनु जोशी कनाडा, एडमिर ओडिक स्विट्जरलैंड, पीटर जैकब्स यूके, सुजाता घिमिरे ऑस्ट्रिया, हिमाबिंदु कनुमुरी, आशीष गुप्ता, प्रेयांश पटेल, शालिनी कैलाशिया, विशाखा सिंह भारत, एनाली लेयेघी यूएसए, डेविड बुराटी इटली आदि प्रतिभागियों ने योग टीचर ट्रेनिंग कोर्स में सहभाग कर यहां के दिव्य वातावरण में योग की शिक्षा, ध्यान, सत्संग, गंगा जी की आरती और पूज्य संतों के सान्निध्य का लाभ ले रहे हैं।