Three-Day Nandini Lokmitra Camp Organized at Parmarth Niketan

परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय नंदिनी लोकमित्र शिविर का शुभारम्भ हुआ, जिसमें भारत के लगभग सभी प्रांतों की बहिनों और भाईयों ने सहभाग किया।

नंदिनी लोकमित्र शिविर के विषय में जानकारी देेते हुये श्री रमेश भाई ने बताया कि आचार्य विनोबा भावे जी ने स्त्री शक्ति को अपनी भूमिका समझाने के लिये भगिनी शिविर का आयोजन किया था जिसमें भारत के लगभग सभी राज्यों से दो-दो बहिनों को बुलाया और समझाया कि हमारी बहिनों को किस ऊचाँई तक जाना है और अभी वे कहां पर हैं। बहिनों को महसूस हो की वर्तमान में हम कहां पर है और हमें जाना कहां तक हैं। बहिने धीमी गति से चलेगी तो उन्हें अपनी शक्ति और सामथ्र्य तक पहुंचने में पीढ़ियाँ लग जायेगी इसलिये नंदिनी शिविरों के माध्यम से शक्ति का जागरण कर उन्हें अपनी शक्ति का अहसास कराकर लोक मित्र बनाने हेतु यह कोशिश की जा रही है।

श्री रमेश भाई ने बताया कि इस अमृत महोत्सव व स्वर्ण जयंती काल में पूरे भारत में 11 नंदिनी शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसके माध्यम से अहिंसात्मक समाज के निर्माण में स्त्रियों की भूमिका पर विस्तृत चिंतन किया जा रहा है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नारी को सामान की नहीं बल्कि सम्मान देने की जरूरत है। अक्सार शिविरों में चितंन किया जाता है कि नारी घर के बाहर, नारी घर के भीतर परन्तु नारी के भीतर क्या इस को समझने के लिये नारियों को ही आगे आना होगा। भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से टाॅयलेट की बात की, वह केवल टाॅयलेट की बात नहीं थी बल्कि नारी की अस्मिता की बात थी।

स्वामी जी ने कहा कि भारत अपनी संस्कृति, संस्कार, गौरवशाली इतिहास और दर्शन की वजह से पूरे विश्व में एक विशेष स्थान रखता है। समाज के मानव संसाधन को बेहतर, मजबूत, समृद्ध व सशक्त बनाने के लिये समाज की आधी आबादी अर्थात् स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्त्रियाँ किसी भी समाज की आधी आबादी हैं। बिना उन्हें साथ लिए कोई भी समाज अपना सम्पूर्ण विकास नहीं कर सकता।

स्वामी जी ने कहा कि भारत में हर युग और हर संस्कृति में स्त्रियाँ केंद्र में होकर भी केंद्र से दूर रही हैं। समाज ने युग, काल और परिस्थितियों के आधार पर “स्त्रियों को अपने अनुसार बनाने की कोशिश की है। समाज अपनी आवश्यकता के अनुसार स्त्री को ढालता आया है। उसके सोचने से लेकर उसके जीवन जीने के ढंग को नियंत्रित करता आया है इसलिये जरूरत है नारी शक्ति स्वयं जागे और दूसरों को भी जगाये।

स्वामी जी ने कहा कि एक निरपेक्ष और बेहतर समाज के निर्माण हेतु पुरुषों और स्त्री को समान रूप से सशक्त होना होगा।

इस अवसर पर विनोबा सेवा आश्रम शाहजहांपुर श्री रमेश भइया, श्री जयेश भाई पटेल, सफाई विद्यालय के अध्यक्ष, हरिजन सेवक संघ गुजरात चेप्टर के अध्यक्ष श्री जयेश भाई पटेल, हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय सचिव, संजय राय, किशन भाई, सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, कमलेश भाई, विमला बहन, अजय कुमार पांडे, प्राची बहन, नन्दबाला व्यास, सोहिनी आदि कई बहिनों और भाईयों ने सहभाग किया। सभी ने अपने जीवन में महिला शक्ति के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किये।