परमार्थ निकेतन में फिल्म ’एक अंक’ की विशेष स्क्रीनिंग हुई। फिल्म एक अंक को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हुुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संपूर्ण मानव इतिहास के अस्तित्व को बनाये रखने में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है। नदियाँ हमारी महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं और वे मानवता के लिये भी आवश्यक है इसलिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कतव्र्य है। उन्होंने कहा कि जब तक हम नदियों के प्रति जागरुक नहीं होंगे तब तक नदियों को स्वच्छ नहीं रखा जा सकता। हम सभी को नदियों को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त रखने हेतु पहल करनी होगी ताकि नदियों को पूरी तरह से स्वच्छ किया जा सके। नदियों का निर्मल जल हमारा बहुमूल्य खजाना है इसलिये उसके अंधाधुंध दोेहन को रोकना होगा नहीं तो हमारी नदियाँ विलुप्त हो जाएँगी।
स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा व यमुना जी भारत की पवित्र नदियाँ हंै। पौराणिक धर्मग्रंथों यथा विष्णु पुराण, रामायण आदि धर्मग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है। नदियों के तटों पर ही अनेक सभ्यताओं का विकास हुआ हैं। नदियों का जल न केवल मनुष्यों बल्कि धरती की प्यास भी बुझाता है साथ ही यह हमारी आस्था का भी केन्द्र है। जब हम समस्याओं में उलझे होते हैं तब नदियों के तटों पर सुकून और शांति की तलाश करते हैं। नदियाँ हमारी आस्था, आध्यात्मिकता और सकारात्मकता में वृद्धि करती हैं।
हिन्दू धर्म में तो जन्म से लेकर जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही पूरी होती है। प्रकृति और नदियां ईश्वर का एक अनमोल खजाना है इसे सहेजने के लिये सशक्त कदम उठाने होंगे। स्वामी जी ने सभी का आह्वान करते हुये नदियों के संरक्षण का संकल्प कराया तथा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संदेश दिया।
‘एक अंक’ केवल एक फिल्म नहीं है बल्कि उन सभी के लिए एक आह्वान है जो प्रकृति और विशेष कर नदी के प्रति उदासीन रहे हैं। लोग इस अति महत्वपूर्ण तथ्य से बेखबर हैं कि नदियाँ पृथ्वी ग्रह की रूधिरवाहिकायें हैं। यदि वे सूख गईं तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। फिल्म एक अंक की मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानी के माध्यम से लोगों को नदियों के प्रति जागरूक कराने की कोशिश की है। ‘एक अंक’ आत्मीय संगीत, मोहक कहानी और महान उद्देश्य का एक सुंदर समन्वय है।