Pujya Swamiji Inaugurates Workshop by Ganga Samagra Dedicated to Mother Ganga

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गंगा समग्र, राष्ट्रीय कार्यकर्ता, अभ्यास वर्ग कार्यशाला को किया सम्बोधित

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होशबले जी और विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का किया शुभारम्भ

माँ गंगा की अविरलता और निर्मलता हेतु समर्पित संगठन गंगा समग्र द्वारा आयोजित

ऋषिकेश, 19 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होशबले जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर गंगा समग्र द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यकर्ता, अभ्यास वर्ग दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज इस मंच पर ऐसी दिव्य हस्तियां उपस्थिति हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के हित के लिये समर्पित किया है, ये एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है। इन्होंने सभी को गंगा जी से जोड़ा, गंगा ने सब को जोड़ा परन्तु कुछ लोग हैं जिन्होंने जनसमुदाय को गंगा जी से जोड़ा।

स्वामी जी ने कहा कि आज ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है क्योंकि मानव जीवन के अस्तित्व के साथ ही भारतीय संस्कृति ने सम्पूर्ण मानवता को जीवन के अनेक श्रेष्ठ सूत्र दिये और आज भी उन सूत्रों और मूल्यों को धारण कर वह निरंतर विकसित हो रही है। भारतीय संस्कृति मानव को अपने मूल से; मूल्यों से, प्राचीन गौरवशाली सूत्रों, सिद्धान्तों एवं परंपराओं से जोड़ने के साथ ही अपने आप में निरंतर नवीनता का समावेश भी करती है और संस्कृति के अस्तित्व को बनाये रखने में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है।

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक ऐसी समस्या के रूप में उभर कर समाने आयी है जिसने न केवल सम्पूर्ण मानवता बल्कि समस्त विश्व की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। इसका प्रभाव न केवल वर्तमान पीढ़ी पर हो रहा है बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। यह एक ऐसी सार्वभौमिक समस्या है जिसका प्रभाव सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड पर किसी-न-किसी रूप से पड़ रहा है।

भारत में भी जल समस्या स्पष्ट रूप से दिखायी दे रही है। यदि जल-संसाधनों का उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो भावी पीढ़ियों के सामने जल की समस्या एक विकराल रूप ले सकती है।

स्वामी जी ने कहा कि नदियां जल का उत्तम स्रोत है। दुनिया की तमाम सभ्यताएँ नदियों के तटों पर ही विकसित हुयी है। नदियाँ प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता की केंद्र में रही हैं। नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है लेकिन वर्तमान समय में नदियों का जीवन ही समाप्त होने की कगार पर है, अनेक नदियां अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही हैं। अनेक नदियों के ऊपर संकट मंडरा रहा है। अनेक छोटी-छोटी नदियां सूख गयी है; विलुप्त हो गयी है और कुछ तो छोटे-छोटे नालों के रूप में तब्दील हो गयी है। जब तक नदियों का संरक्षण नहीं होगा जल समस्याओं का समाधान नहीं मिल सकता इसलिये जल क्रान्ति को जन क्रान्ति का रूप देना होगा तभी नदियों को बचाया जा सकता है और घटते जल की समस्याओं को दूर किया जा सकता हैं।

स्वामी जी ने इस कार्यशाला को हरित स्वरूप प्रदान करते हुये माननीय हसबोले जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

इस अवसर पर प्रांत संयोजन श्री अरूण घिल्डियाल जी, प्रांत सह संयोजक प्रकाश कुमार जी, श्री भूपेन्द्र बिष्ट जी, श्री जगदीश तिवारी जी, डा आशीष जी और अन्य प्रान्तीय कार्यकताओं ने सहभाग कर विशिष्ट योगदान प्रदान किया।