Pujya Swamiji and Pujya Sadhviji meet with Hon’ble Minister of Tourism

ऋषिकेश, 10 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय पर्यटन मंत्री भारत सरकार श्री जी किशन रेड्डी जी कि दिल्ली में भेंटवार्ता हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री रेड्डी जी को परमार्थ निकेतन में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। इस अवसर पर जी 20 – समिट पर भी चर्चा हुई। साथ ही उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन को नई गति प्रदान करने हेतु भी चर्चा हुई और इस हेतु माननीय श्री रेड्डी जी ने प्रसन्नता व्यक्त की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के यशस्वी, तपस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिस प्रकार भारतीय संस्कृति को केन्द्र में रखते हुये तीर्थों और पर्यटन स्थलों को गति प्रदान की हैं तथा सौन्दर्यीकरण की दिशा में जो परिवर्तन लाया है वह वास्तव में अद्भुत और अलौकिक है। अभी मैं अमेरिका में था वहां पर अनेक लोगों के मुझसे कहा कि अब तो हम काशी, अयोध्या, केदारनाथ, उज्जैन, आ रहे हैं वास्तव में यह बहुत बड़ा परिवर्तन है। पहले तो लोग गोवा और ताजमहल की बात करते थे, स्वामी जी ने कहा कि वहां पर भी जाये, वह भी भारत है परन्तु उसके साथ-साथ अपने मूल, मूल्यों और जड़ों से जुड़ने के लिये तीर्थों से जुड़ना बहुत जरूरी है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत, पर्यटन के साथ तीर्थाटन की भी भूमि है। भारत में आकर पर्यटक ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ ‘विश्व एक परिवार है’ का दर्शन करते है क्योंकि भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति बेजोड़ है, जो न केवल सभी का ध्यान आकर्षित करती है बल्कि एकता, समरसता, सद्भाव और शान्ति का संदेश भी देती है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति वेद से लेकर विज्ञान तक और गौतम बुद्ध से लेकर गांधी जी तक कि है, जो सत्य और अहिंसा के सहारे सामंजस्य स्थापित करने की सदैव कोशिश करती है। भारत में पर्यटक प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन करने के साथ ही यहां की माटी में व्याप्त शान्ति को आत्मसात करते हैं; तनाव से मुक्त होते है और योग के माध्यम से एक संतुलित जीवनचर्या को अपनाने का प्रयत्न करते हैं जो उन्हें अध्यात्म के सोपानों तक पहंुचने के लिये मदद करती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमें तीर्थस्थलों के पर्यटन को और समृद्ध बनाने की आवश्यकता है। हमारे पास आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धाम है, द्वादश ज्योतिर्लिंग है, विश्व का सबसे बड़ा मेला कुंभ है, गंगा है, हिमालय है, बनारस में सनातन संस्कृति युक्त आश्रम आधारित शिक्षा जैसी अनेक अमूल्य ऐतिहासिक धरोहर हैं। साथ ही हमें वर्तमान समय में व्यावसायिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है जिसमें उत्तराखंड के मोटे अनाज, भदोही का कालीन उद्योग, फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग, कांचीपुरम् व चंदेरी का साड़ी उद्योग, उत्तर प्रदेश का काष्ठ कला, जयपुर का संगमरमर उद्योग आदि अपनी स्थानीय विशेषताओं के साथ अपनी गरिमा बनाये हुए हैं इन्हें वैश्विक ब्राण्ड बनाने की जरूरत है ताकि पर्यटकों को यहां आकर आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक शान्ति प्राप्त हो सके।

माननीय पर्यटन मंत्री भारत सरकार श्री जी किशन रेड्डी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का अभूतपूर्व योगदान है। पूरे वर्ष विश्व के अनेक देशों से पर्यटक परमार्थ निकेतन आते हैं, और अध्यात्म, भारतीय संस्कृति, संस्कार और भारतीय जीवन मूल्यों के दर्शन करते हैं जो कि उनके जीवन को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

माननीय पर्यटन मंत्री, भारत सरकार श्री जी किशन रेड्डी जी को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।