Parmarth Rishikumars and Sevaks Train in Life-Saving CPR Techniques at AIIMS Rishikesh

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, (एम्स) ऋषिकेश में आयोजित जीवनरक्षक तकनीक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों और सेवा टीम ने लिया।

यूएसए, डॉ. आहूजा ने जीवनरक्षक तकनीक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण दिया। जीवनरक्षक तकनीक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) अर्थात् किसी की सांस या दिल की धड़कन रुक गई हो, उदाहरण के लिए, जब किसी को दिल का दौरा पड़ता है ऐसे समय तेज छाती संपीड़न के साथ सीपीआर शुरू करने की सलाह डाक्टर देते हंै।

उन्होंने बताया कि सीपीआर से पहले देखे कि पीड़ित की नाड़ी और सांस चल रही है। यदि 10 सेकंड के भीतर कोई नाड़ी या सांस नहीं चल रही है, तो छाती को दबाना शुरू करें। दो बचाव साँसें देने से पहले छाती को 30 बार दबाने के साथ सीपीआर शुरू करना चाहिये। प्रति मिनट 100 से 120 की दर से छाती को दबाएं।

उन्होंने बताया कि वयस्कों, बच्चों और शिशुओं को सीपीआर की आवश्यकता होती है, लेकिन नवजात शिशुओं को नहीं। ज्ञात हो कि नवजात शिशु 4 सप्ताह तक के शिशु होते हैं।

सीपीआर मस्तिष्क और अन्य अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह को तब तक बनाए रख सकता है जब तक कि आपातकालीन चिकित्सा उपचार सामान्य हृदय गति को बहाल नहीं कर देता। जब हृदय रुक जाता है, तो शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता है। ऑक्सीजन युक्त रक्त की कमी से कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क क्षति हो सकती है।

इस अवसर पर डॉ. आहूजा ने सीपीआर और स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर (एईडी) का उपयोग कैसे किया जाये इस विषय में भी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि सीपीआर शुरू करने से पहले नाड़ी जांच लें, यह भी देखे कि क्या वातावरण पीड़ित व्यक्ति के लिए सुरक्षित व उपयुक्त है? यह भी देखना जरूरी है कि क्या व्यक्ति सचेत है या अचेतन? यदि व्यक्ति बेहोश दिखाई दे, तो उसके कंधे को थपथपाएँ या हिलाएँ और जोर से पूछें, ’क्या आप ठीक हैं?’ यदि व्यक्ति जवाब नहीं देता है और आपके साथ कोई अन्य व्यक्ति हैं जो मदद कर सकता है, तो एक व्यक्ति को स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करने को कहें और यदि वहां एईडी उपलब्ध हो तो प्राप्त करें तथा दूसरे व्यक्ति को सीपीआर शुरू करने के लिए कहें। एईडी उपलब्ध हो, डिवाइस द्वारा निर्देश दिए जाने पर एक झटका दें, फिर सीपीआर शुरू करें।

संपीड़न का अर्थ है कि आप अपने हाथों का उपयोग करके व्यक्ति की छाती को एक विशिष्ट तरीके से जोर से और तेजी से दबाते हैं। सीपीआर में संपीड़न सबसे महत्वपूर्ण चरण है। सीपीआर कंप्रेशन करने के लिए इन चरणों का पालन करें- व्यक्ति को उसकी पीठ के बल किसी सख्त सतह पर लिटाएं। व्यक्ति की गर्दन और कंधों के बगल में घुटने टेकें। अपने हाथ की निचली हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में, निपल्स के बीच में रखें। अपने दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रखें। अपनी कोहनियों को सीधा रखें. अपने कंधों को सीधे अपने हाथों के ऊपर रखें।

छाती को सीधे नीचे की ओर कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) दबाएं लेकिन 2.4 इंच (6 सेंटीमीटर) से अधिक नहीं। दबाव डालते समय केवल अपनी भुजाओं का ही नहीं, बल्कि अपने पूरे शरीर के वजन का उपयोग करें। प्रति मिनट 100 से 120 संपीड़न की दर से जोर से धक्का दें। प्रत्येक धक्का के बाद छाती को पीछे की ओर झुकने दें। यदि आपने 30 बार छाती को दबाया है, तो सिर-झुकाव, ठोड़ी-लिफ्ट करके व्यक्ति के वायुमार्ग को खोलें। अपनी हथेली व्यक्ति के माथे पर रखें और धीरे से सिर को पीछे की ओर झुकाएं। फिर दूसरे हाथ से वायुमार्ग को खोलने के लिए धीरे से ठुड्डी को आगे की ओर उठाएं।

एम्स अस्पताल, ऋषिकेश में सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ, परमार्थ निकेतन परिवार और एम्स के डॉक्टर्स की टीम ने परमार्थ निकेतन और सभी प्रतिभागियों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। परमार्थ प्रतिनिधि सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने आपातकालीन स्थिति के मामले में जीवन बचाने की कला सीखाने के लिए एम्स की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह जी और सभी चिकित्सकों को अपना बहुमूल्य समय देने के लिए अभार व्यक्त किया।
इस प्रशिक्षण में निलय पारिख, इन्दु, रामचन्द्र शाह, नारायण, देव, रेशमी, ज्योति, रोहित, कल्पना, मुस्कान, आशा गैरोला, रोहन मैक्लारेन, गौरव, आयुष, सूरज, तरूण, परमार्थ विद्या मन्दिर की शिक्षिकाओं, परमार्थ परिवार के सदस्यों, सेवा टीम ने लिया।