परम पूज्य स्वामी जी ने दिया संदेश हिरण्याकशिपु ने धर्म विरूद्ध आचरण करते हुये अपने बेटे प्रह्लाद को भी कष्ट दिये इसलिये प्रभु ने हिरण्याकशिपु पर प्रहार किया और प्रह्लाद को बचाकर उसे प्यार दिया; रावण पर प्रहार किया; रावण का संहार किया लेकिन उसी के भाई विभीषण को प्यार दिया, राज्य दिया; बाली पर प्रहार किया और उनके बेटे अंगद को अपनी शरण में लेकर प्यार किया। प्रहार और प्यार के बीच, वार और प्यार के बीच, एक ओर उग्रता तो दूसरी ओर व्याग्रता है इसके पीछे प्रभु का यही संदेश है कि मैं हूँ और हर पल हूँ। धर्म की रक्षा हेतु सदैव प्रभु हमारे साथ हैं।