On the conclusion of Navratri and the auspicious occasion of Dussehra, HH Pujya Swamiji, Pujya Sadhviji, and our Parmarth Niketan family held a beautiful Kanya Puja for all the young girls, serving them food (prasad) and gifts honoring them as embodiments of the Mother Goddess. Let us all celebrate the victory of good over evil and the strength of feminine power, the inner Shakti.
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा की शुभकामनायें
नवरात्रि के समापन व दशहरा के पावन अवसर पर कन्या पूजन व भोज
परमार्थ निकेतन में आदिवासी, जनजाति और वनवासी कलाकरों द्वारा माँ शबरी रामलीला का दिव्य, भव्य और अलौकिक मंचन
विजयदशमी पर शस्त्र-पूजन की परंपरा तो निभायें परन्तु शान्ति के संवर्द्ध्रन हेतु भी कदम बढ़ायंे
दशहरा हमें नीति, सत्य, अच्छाई, सच्चाई और ऊँचाई के शाश्वत जीवन-मूल्यों को आत्मसात करने और शांति एवं सौहार्द से जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है
विजय, शक्ति व शान्ति का प्रतीक, दशहरा
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 12 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ गंगा के पावन तट से दशहरा पर्व की शुभकामनायें देते हुये कहा कि दशहरा, बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की, अनीति पर नीति, अत्याचार पर सदाचार की और कूरता पर करूणा की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम की रावण पर विजय को आज भी भारत में रावण दहन कर उत्साह व उमंग के साथ मानाते है। यह पर्व हमें प्रभु श्री राम के आदर्श, उनके चरण, शरण और आचरण को अंगिकार करने का संदेश देता है। प्रभु श्री राम व माता दुर्गा की विजय का प्रतीक यह पर्व भारत की सांस्कृतिक एकता का दिव्य संदेश देता है।
परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी और परमार्थ निकेतन परिवार के सदस्यों ने नवरात्रि के समापन और दशहरा के पावन अवसर पर कन्या पूजन व भोज कराया। स्वामी जी व साध्वी जी ने सभी कन्याओं का पूजन कर अपने हाथों से भोजन, फल, प्रसाद और उपहार भेंट किये। इस अवसर पर राजस्थान से आयी एंकर डा आरूषी मलिक और उनका पूरा परिवार उपस्थित रहा।
यह पर्व, हमें नीति, सत्य, अच्छाई, सच्चाई और ऊँचाई के शाश्वत जीवन-मूल्यों को आत्मसात करने और शांति एवं सौहार्द से जीवन जीने के लिए सतत प्रेरित करता रहे।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दशहरा के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया था। आज का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पांडवों को जब अज्ञातवास हुआ तब अर्जुन ने अपने अस्त्र-शस्त्र जंगल में शमी वृक्ष के पास छिपाए थे और विजयदशमी के दिन शमी वृक्ष की पूजा कर अपने अस्त्र-शस्त्र वापस प्राप्त किये थे इसलिये आज का दिन विजय और शक्ति का भी प्रतीक है।
स्वामी जी ने कहा कि अब समय आ गया कि हम दशहरे पर शस्त्र-पूजन की परंपरा तो निभायें परन्तु शान्ति के संवर्द्ध्रन हेतु भी कदम बढ़ायंे। दशहरा का पर्व नारी सम्मान का भी प्रतीक है। आज के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। यह पर्व हमें सिखाता है कि नारी शक्ति का सम्मान और उन्हें समान अधिकार प्रदान कराना हमारी प्राथमिकतायें होनी चाहिए।
दशहरा पर्व हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, डरो नहीं डटे रहो क्योंकि विजय, सत्य और धर्म की ही होती है। दशहरा हमें हमारे मूल्यों और परंपराओं की याद दिलाता है और हमें एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण के लिये
आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। आईये इस भाव से रावण दहन के समय समाज से बुराईयों को समाप्त करने के लिये भी अपना कदम आगे बढ़ाये।
दशहरा के दिन दुर्गा पूजा, श्रीराम जी की पूजा के साथ शस्त्र पूजा भी की जाती है। इस दिन शामी वृक्ष की भी पूजा करने का भी विधान है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। वही, देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर का संहार किया था इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर गंगा नन्दिनी, आचार्य दीपक शर्मा, नन्दबाला, आचार्य संदीप, सेवानन्द, टिफनी, रोहन, पूजा, शोभा, जिमी, पूजा, रूकमा आदि अनेक लोगों उपस्थित थे।