परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज जैव विविधता हेतु अन्तर्राट्रीय दिवस के अवसर पर पर्यावरण और प्रकृति को समर्पित मासिक श्री राम कथा के दिव्य मंच से संदेश दिया कि जैविक संपदा ही जीवन संपदा है। वैश्विक संतुलन को बनाए रखने के लिए जैव विविधता महत्वपूर्ण है।
निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व और संरक्षक गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान और गोविंद वन्यजीव अभयारण्य श्री साकेत बडोला जी ने सपरिवार परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया। स्वामी जी ने जैव विविधता, अमृत सरोवर और पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
जैव विविधता ग्रह की पारिस्थितिकी तंत्र की नींव है और यह मनुष्यों के साथ-साथ अन्य प्रजातियों के कल्याण से जुड़ा है इसलिये हम सभी को पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने और जीवन का समर्थन करने के लिए मिलकर कार्य करना होगा क्योंकि यह सभी प्रजातियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण कर ही बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है इसलिये हमें ग्रीन प्लेज और ग्रीन रेजोल्यूशन के साथ आगे बढ़ना होगा क्योंकि दिन प्रतिदिन ग्लोबलवार्मिग बढ़ती जा रही है, नदियां प्रदूषित हो रही है, पृथ्वी का तापमान बढता जा रहा है और भूजल का स्तर कम होता जा रहा है, जिससे न केवल मानव बल्कि प्रकृति भी प्रभावित हो रही है इसलिये हमें ग्रीन संकल्पों के साथ जीवन में आगे बढ़ना होगा।
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मिशन -लाइफ अर्थात ‘प्रो प्लैनेट पीपल’, ग्रह की जीवनशैली, ग्रह के लिये और ग्रह द्वारा के विश्वास की परिकल्पना के माध्यम से जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तन कर, स्वस्थ व हरित जीवन पद्धति को स्वीकार करना होगा। प्रो-प्लैनेट-पीपल – भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान और जलवायु-अनुकूल प्रथाओं के आधार पर व्यवहार परिवर्तन अर्थात दुनिया को भारत की लाइफ के बारे में जानने हेतु प्रेरित करना है, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रो-प्लैनेट के रूप में एकजुट करना है, उन सभी को उनके विचारों और कार्यों में ‘ग्रह की जीवन शैली’, ग्रह के लिए और ग्रह द्वारा’ के बुनियादी सिद्धांतों पर एकजुट करना है।
स्वामी जी ने कहा कि हमें रिडयूस, रीयूज, रिसाइकल और सर्कुलर इकोनामी के साथ ईकोलाजी पर विशेष ध्यान देना होगा और इसके लिये पारम्परिक भारतीय जीवन शैली को स्वीकार करना अत्यंत आवश्यक है तभी इन विकाराल समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती और श्रीराम कथा के दिव्य मंच से सभी को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने का संकल्प कराया।