ऋषिकेश, 24 फरवरी। विश्व के 40 से अधिक देशों से आये विद्यार्थियों ने आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् (एआरएसपी) देहरादून चेप्टर के प्रमुख बीएसएफ के आईजी (सेवानिवृत्त) श्री एसएस कोठियाल जी, एआरएसपी समन्वयक श्री अजय पटेल जी, सह समन्वयक श्री भास्कर जी के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर परमार्थ गंगा तट पर तीन दिवसीय ‘चलो भारत को समझे’ सेमिनाॅर का शुभारम्भ हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत में धरोहरों और विरासतों का भण्डार है। भारत के इस विशाल धरोहर भंडार को वैश्विक स्तर पर एक अनूठी सांस्कृतिक पहचान मिली हुई है। भारतीय विरासत में अतीत की मूल्यवान उपलब्धियों व ज्ञान के साथ ही वर्तमान का अन्वेशन भी समाहित है।
हमारी सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक धरोहर जिसमें वनस्पतियों एवं जीवों सहित जल स्रोत और प्राकृतिक पर्यावरण शामिल हैं साथ ही अमूर्त धरोहर इसमें हमारी संस्कृति, संस्कार, मूल, मूल्य, परंपराएँ, आध्यात्मिकता, आस्था समाहित है इन्हें जानना और सहेजना अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के पास गौरवशाली अतीत, धरोहरों और अमूर्त विशेषताओं की जो विरासत है उसे भविष्य की पीढ़ियों के लिये संरक्षित करने हेतु इस प्रकार के हेरिटेज़ टूर अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब समय आ गया है कि भारत को भारत की आँखों से देखें। भारत को शंका की आंँखों से नहीं बल्कि श्रद्धा की आँखों से देखने की आवश्यकता है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति ने पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्र दिये हैं उसी दृष्टि से इस देश को समझने और फिर उसे जीने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति किसी एक के लिये नहीं बल्कि सब के लिये है, यह समन्वय की संस्कृति है; भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता की संस्कृति है; भारतीय संस्कृति सहिष्णुता की संस्कृति है जो सभी संस्कृतियों को पल्लवित होने का अवसर प्रदान करती है।
भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति सभी के लिये प्रेरणा का एक अपूरणीय स्रोत है, इसलिये इसे वैश्विक सांस्कृतिक पहचान मिली है। भारत की कला-संस्कृति एवं इसका इतिहास अत्यंत समृद्ध है इसलिये यह वैश्विक शान्ति की आधरशिला भी है।
विश्व के 40 से अधिक देशों से आये 150 से अधिक विद्यार्थी परमार्थ निकेतन में आयोजित विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों में सहभाग कर आन्नद ले रहे हैं।