Founder of HESCO Shri Dr. Anil Prakash Joshi meets Pujya Swamiji at Parmarth

The President of Parmarth Niketan, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and the founder of the HESCO – Himalayan Environmental Studies & Conservation Organisation, Shri Dr. Anil Prakash Joshiji, had a special discussion on the topic of ‘Himalaya Samagra Chittan Shikhar Varta’ to be organized on the occasion of Himalaya Day at Parmarth Niketan.

Every year on 9 September, the residents of Uttarakhand and the Himalayas collectively celebrate this day as Himalaya Day. On this day, many social organizations, educational organizations, researchers and the general public take a pledge to protect the Himalayas and make them pollution-free, while paying their respects to the Himalayas through various seminars and events. This year Himalaya Day will be organized by Parmarth Niketan and HESCO in cooperation with the Government of Uttarakhand.

Pujya Swamiji said that if there is Himalaya, we are there. And if Himalaya is there then there is Ganga. “No mountain range in the world has the power to provide life, courage and prosperity to society as the Himalayas have. The Himalayas have positively influenced the lives of the masses. The Himalayas have an important contribution in shaping India. They are a sacred heritage of India’s material richness, divinity, natural splendor and cultural beauty that has preserved Indian values. The Himalayas provide housing, food and security to more than 50 million people, so now it is our turn to contribute to preserve the natural beauty and cultural heritage of Himalayas.”

9 सितंबर, 2022 हिमालय दिवस पर आयोजित समग्र चितंन शिखर वार्ता की तैयारियों पर परमार्थ निकेतन हुई विशेष चर्चा

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन हेस्को संस्थापक पùश्री डाॅ अनिल प्रकाश जोशी ने की विशद् चर्चा
स्वामी जी ने गंगा से ग्लेशियर तक की यात्रा और पिघलते ग्लेशियर के विषय में व्यक्त की चिंता

हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से भी हैं
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 3 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन हेस्को के संस्थापक पùश्री डाॅ अनिल प्रकाश जोशी की परमार्थ निकेतन में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाली ‘हिमालय समग्र चितंन शिखर वार्ता’ के विषय में विशेष चर्चा हुई।

ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष 9 सितंबर को उत्तराखंड, हिमालय के निवासी सामूहिक रूप से इस दिवस को हिमालय दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन अनेक सामाजिक संस्थायें, शैक्षिक संगठन, शोधकर्ता व आम जनमानस विभिन्न गोष्ठियों व आयोजनों के माध्यम से हिमालय को नमन करने के साथ हिमालय के संरक्षण एवं प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प भी लेते हैं। इस वर्ष हिमालय दिवस का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, हैस्को और उत्तराखंड सरकार के द्वारा सम्मिलित रूप से आयोजित किया जा रहा है। जिसमें उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों से पर्यावरण विशेषज्ञ, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और विभिन्न संस्थान सहभाग कर रहे हैं।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिमालय है तो हम है और हिमालय है तो गंगा है। दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है इसलिये अब हमारी बारी है कि हम हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखने हेतु योगदान प्रदान करें।

पùश्री डाॅ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हिमालय के प्रति समाज में जागरूकता और सकारात्मकता लाने के लिये ‘हिमालय समग्र चिंतन शिखर वार्ता’ का आयोजन परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य और मार्गदर्शन में किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि हम इस शिखर वार्ता के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे।

इस अवसर पर सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, रूचि राय, हैस्को से हिमानी, शिवम और सोनाली उपस्थित थे।