Environmental hero Padma Shri Sant Balbir Singh Seechewalji Warmly Welcomed to Parmarth

Environmental hero, Padma Shri, Sant Balbir Singh Seechewal ji was warmly welcomed by the Rishi Kumaras and Acharyas at Parmarth Niketan. They discussed initiatives to revive rivers and water bodies. Pujya Swamiji praised Sand Balbir Singh Seechewal ji’s efforts in transforming Punjab’s heavily polluted Kali Bein river into a clean, flowing waterway. Highlighting the cultural and ecological significance of rivers, Pujya Swamiji emphasized the need for collective action to preserve them. Pujya Swamiji presented him a Rudraksha plant from the Himalayas as a token of their shared commitment to environmental conservation.


परमार्थ निकेतन में हीरोज ऑफ एनवायरनमेंट पद्मश्री श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी आये। परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमारों और आचार्यों ने उनका अभिनंदन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी की दिव्य भेंटवार्ता हुई। दोनों पूज्य संतों ने नदियों, नालों, गदेरों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्ष किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पद्मश्री श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी वास्तव में पर्यावरण के नायक है, उन्होंने अकेले ही अपने दम पर काली बेई नदी को साफ करने का एक ऐसा आंदोलन छेड़ा जिसने उस पूरी नदी की काया ही बदल दी। अत्यधिक प्रदूषित कही जाने वाली काली बेई नदी को स्वच्छ व स्वस्थ कर दिया जो आज भी पंजाब में कलकल करती प्रवाहित हो रही हैं।

स्वामी जी ने कहा कि नदियाँ महज नदियाँ नहीं हैं बल्कि ये देश की संस्कृति का प्रतीक एवं पर्याय हैं। एक बड़ी आबादी के लिये नदियां जीवनदायिनी और जीविकादायिनी हैं और यह हमारी आस्था का भी केन्द्र है इसलिये नदियों के अविरल प्रवाह के साथ उनके पारिस्थितिकी तंत्र को सहेजना जरूरी है। इस समय हमारी नदियां, नाले और गाद-गदेरे हमसे अपने जीवन की भिक्षा मांग रहे हैं उनके लिये हम सभी को आगे आना होगा और सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि नदियां धरती की रूधिर वाहिकायें हैं। धरती के सौन्दर्य की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती इसलिये हमें जल की हर बूंद के महत्व को जानना और स्वीकार करना जरूरी है क्योंकि जल की हर बूंद में जीवन है अतः उनका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। जल को बनाया तो नहीं जा सकता परन्तु संरक्षित जरूर किया जा सकता है। जल का मुद्दा किसी संगठन, राज्य और राष्ट्र का नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का है।

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में नदियों में पानी की लगातार कमी होती जा रही है। कई सदानीरा नदियां मानसून तक ही सिमट कर रह गयी हैं। जागरूकता के अभाव और स्वार्थपूर्ण हितों के कारण जल स्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण हो रहा है कि कोई एक एजेंसी इसे रोक नहीं सकती इसलिये जनता को ही सबसे पहले आगे आना होगा और जल क्रान्ति को जन क्रान्ति; जल आन्दोलन को जन आन्दोलन और जल चेतना को जन चेतना बनाना होगा ।

श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी ने बताया कि काली बेई नदी में छह से अधिक नगरों व 40 गाँवों के लोग अपना कूड़ा डालते थे। साथ ही सीवर व नालियों का गंदा पानी भी उसी में जाता था। इससे काली बेई  नदी एक गंदे नाले में बदल गई थी जिसके परिणामस्वरूप आस-पास के खेतों को पानी नहीं मिल पाता था। तब हमने इस नदी की सफाई के लिए अभियान छेड़ा। पहले तो लोगों ने मजाक उड़ाया फिर धीरे धीरे लोग स्वयं हमारे साथ जुड़ते गए। जिस नदी के किनारे खड़े होने पर लोगों को नाक पर रुमाल रखना पड़ता था, अब उसी नदी के किनारे लोग पिकनिक मनाते हैं। यह वही काली बेई  नदी है जिसके किनारे 500 साल पहले गुरु नानक देव जी को अंतर्ज्ञान प्राप्त हुआ था; एक ओंकार का ज्ञान मिला था यह नदी तो पूरे पंजाब के लिये बहुत बड़ा गहना है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में हमने काली बेई नदी को साफ करने का संकल्प लिया था। संकल्प व मेहनत का ही परिणाम है कि गंदे नाले के रूप में बहने वाली काली बेई आज एक स्वच्छ व निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित हो रही है।

श्री सीचेवाल जी ने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में प्रतिदिन माँ गंगा के पावन तट पर गंगा जी की आरती होती हैं जो नदियों के संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण है। प्रतिदिन अनेक श्रद्धालु इस पवित्र तट से पर्यावरण व नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश लेकर जाते हैं जो अद्भुत व अनुकरणीय है।

स्वामी जी ने श्री सीचेवाल जी को हिमालय की हरित भेंट रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया।