बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर पूज्य स्वामीजी ने वैश्विक परिवार को संदेश देते हुए कहा कि व्यक्ति का चित्त जब शांत और स्थिर होता है “बुद्ध बने या ना बने शुद्ध बने”।
आज जीवन में बुद्धि तो बढ़ती जा रही है परन्तु शुद्धि खोती जा रही है और बुद्धि बढ़ती है तब जीवन में समृद्धि बढ़ती है परन्तु जब जीवन में शुद्धि बढ़ती है तो जीवन में सिद्धि बढ़ने लगती है। इसलिए अगर हम जीवन में बुद्ध नहीं बन सके तो शुद्ध तो बने। हमारा जीवन जब भीतर से स्थित होगा तभी बाहर से व्यवस्थित होगा।