Today is the 57th Nirvana Day anniversary of the revered founder of Parmarth Niketan, Mahamandleshwar Swami Shukdevanand Saraswati Ji Maharaj, and to honour and to celebrate the auspicious event Mahamandaleshwar Swami Asanganand Ji Maharaj, Swami Dharmanand ji Maharaj, Harigiri Ashram, Swami Krishnanand ji Maharaja, Vishnoi Mand Swami Krishnanand Ji Maharaj, Shri Radhakrishna Temple, Swami Kavalyanand Ji Maharaj, Lochanananda Ashram, Swami Keshwanand Ji Maharaj, Swami Sanatan Teerth Ji Maharaj , Swami Jyotirmayanand Ji Maharaja and other revered saints gathered to offer prayers and remembrances. The celebration came at the end of the five-day Shri Ramcharit Manas offering, and included an all-Ashram Bhandara for all the assembled saints and guests.
महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज का निर्वाण दिवस
श्रद्धांजलि समारोह
पंचदिवसीय सामूहिक संगीतमय श्रीरामचरित मानस पाठ का समापन
विशेष भण्डारा का आयोजन
18 जुलाई, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आज पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज का 57 वाँ निर्वाण दिवस श्रद्धाजंलि समारोह मनाया गया। साथ ही पंचदिवसीय सामूहिक संगीतमय श्रीरामचरित मानस पाठ का भी आज समापन हुआ, इस अवसर पर विशेष भण्डारा का आयोजन किया गया, जिसमें महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द जी महाराज, स्वामी धर्मानन्द जी महाराज, हरिगिरि आश्रम, स्वामी कृष्णानन्द जी महाराज, विश्नोई मन्दिर, स्वामी कृष्णानन्द जी महाराज, श्री राधाकृष्ण मन्दिर, स्वामी कैवल्यानन्द जी महाराज, लोचनानन्द आश्रम, स्वामी केशवानन्द जी महाराज, स्वामी सनातन तीर्थ जी महाराज, स्वामी ज्योतिर्मयानन्द जी महाराज और अन्य पूज्य संतों ने सहभाग किया।
पूज्य महामंडलेश्वर जी महाराज कहा करते थे कि भगवद्कृपा संत व सत्संग के रूप में अवतरित होती है, सुमिरन के रूप में पल्लवित होती है व परमात्म बोध के रूप में कृत कृत्य कर देती है।
महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन का सूत्र वाक्य ही है ’’ सर्वभूतहिते रताः’’ अर्थात हम सभी प्राणियों के हित के लिये कार्य करें। पूज्य स्वामी जी ने परमार्थ की नींव ही सेवा और सहायता के लिये रखी है और उन्हीं के सिद्धान्तों पर हम सभी अग्रसर हो रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पूज्य महामंडलेश्वर जी महाराज को नमन करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी ने हिमालय की गोद और गंगा के तट पर परमार्थ निकेतन आश्रम की स्थापना वर्ष 1942 में की थी। तब से ही यहां पर संत सेवा, गौ सेवा, संस्कृत, संस्कृति, संस्कार और अनेक आध्यात्मिक गतिविधियां निरंतर चल रही हैं।
परमार्थ निकेतन में उनके द्वारा स्थापित प्राचीन धर्मग्रंथों से युक्त पुस्तकालय है जिसमें वेद, उपनिषद्, धर्म, अध्यात्म, दर्शन, विज्ञान और अनेक प्राचीन और आधुनिक शोधों पर आधारित ग्रंथ है तथा भारतीय संस्कृति से युक्त गुरूकुल है जिसमें गरीब और अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, चिकित्सा, संगीत और वेद अध्ययन कराया जाता है।
श्रद्धाजंलि समारोह में सहभाग करने हेेतु पधारे सभी पूज्य संतों का परमार्थ निकेतन के व्यवस्थापक रामअनन्त तिवारी जी ने अभिनन्दन कर आभार व्यक्त किया। श्री रामचरित मानस पाठ में रायबरेली से आये श्री मनोज मिश्रा, सुजीत कुमार, स्वामी विज्ञानानन्द जी और देवनाथ दीक्षित जी ने संगीतमय पाठ किया।