परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से हरिजन सेवक संघ, दिल्ली और अन्य विद्यालयों से आये बच्चों ने भेंट कर आशीर्वाद लिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नन्हे-नन्हे बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुये का कि बचपन से ही बच्चों को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने हेतु प्रशिक्षित करना होगा। मिशन लाइफ में उल्लेखित छोटे-छोटे व्यवहार परिवर्तन के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि जैसे नल का सक्रिय रूप से उपयोग न हों तो उन्हें बंद कर देने से लगभग 9 ट्रिलियन लीटर तक पानी की बचत हो सकती है, जबकि खाद्य अपशिष्ट को खाद बनाने से 15 बिलियन टन भोजन को लैंडफिल में जाने से बचाया जा सकता है। साथ ही ट्रैफिक लाइट पर कार के इंजन, स्कूटर के इंजन आदि को बंद करने जैसी छोटी क्रियाओं से प्रति वर्ष 22.5 बिलियन केडब्ल्यूएच तक ऊर्जा बचायी जा सकती हैं।
स्वामी जी ने कहा कि मिशन लाइफ को 1 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में सीओपी-26 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा एक जन आंदोलन के रूप में पेश किया गया था। वास्तव में यह एक व्यवहार परिवर्तन आंदोलन है इसलिये हम सभी को इसे अपने जीवन में स्वीकार कर प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली अपनाने के लिए दूसरों को भी प्रोत्साहित करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि हमें अपने बच्चों और युवाओं के साथ पर्यावरण एवं जलवायु के मुद्दे पर व्यापक चर्चा करनी होगी उन्हें रिस्पांसिबिलिटीश् देनी होगी तभी समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखा जा सकता है। भारत में प्राचीन काल से ही पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है, भारतीय संस्कृति में जल की पवित्रता, नदियों का पूजन तथा बरगद, पीपल, तुलसी आदि पेड़ों की उपासना और पूजा के माध्यम से प्रकृति और मानव के मध्य अंतर्संबंध को दर्शाता है।
स्वामी जी ने कहा कि गांधी जी का नव्यवेदांत दर्शन जो ईशावास्यमिदं सर्वम् के सिद्धांत पर आधारित है यानी प्रकृति के कण कण में ईश्वर का वास है, यह सिद्धांत प्रकृति और मनुष्य में अन्योन्याश्रयी और एक दूसरे के पूरक संबंधों को दर्शता है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुये कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने हेतु गंभीरतापूर्वक प्रयत्न करने का संदेश दिया हैं। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन से हमें अकेले नहीं बल्कि एकीकृत, व्यापक और समग्र तरीके से लड़ना होगा।
भारत ने पर्यावरण के अनुरूप रहने की अपनी पारंपरिक नैतिकता के तहत कम कार्बन और जलवायु- अनुकूल विकास पर ध्यान केन्द्रित किया है परन्तु इस हेतु प्रत्येक भारतीय की भूमिका को सुनिश्चित करना होगा।
स्वामी जी ने बच्चों और शिक्षकों को पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्प कराया।