राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने विश्व शान्ति हवन में किया सहभाग

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने विश्व शान्ति हवन में किया सहभाग

परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों के साथ बिताया समय वेदमंत्र पाठ का
श्रवण कर गद्गद हुई पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान

ऋषिकुमारों को बड़े ही प्रेम से परोसा भण्डारा

परमार्थ गंगा आरती और विश्व शान्ति हवन की स्मृतियों के साथ वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने ली विदा

जल निकायों को पुनर्जीवित करने का समय

सम्पूर्ण मानवता के लिये जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 4 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन से आज राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती और विश्व शान्ति हवन की स्मृतियों के साथ विदा ली।

श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के वेदमंत्र पाठ और संस्कृत वाचन का श्रवण कर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गुरूकुलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण हो रहा है। समाज के सांस्कृतिक लोकाचार और आध्यात्मिकता का व्यापक प्रसार पूज्य स्वामी जी के माध्यम से हो रहा है। भारतीय संस्कृति और संस्कारों से युक्त विचारों की अनुरूपता न केवल हमें संभावित आंतरिक संघर्षों से बचाती है बल्कि सहिष्णुता की भावना भी पैदा की इसलिये आज हमें ऐसे दिव्य गुरूकुलों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन गुरूकुल के छोटे-छोटे ऋषिकुमारों में संस्कार, आदर्शों, जीवन मूल्यों के साथ आध्यत्मिक जीवन शैली दिखायी देती है जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन का पूरा वातावरण अद्भुत है, आध्यात्मिक है, अलौकिक आनन्द का अनुभव यहां होता है। यहां के कण-कण में दिव्यता समाहित है, यह आध्यात्मिक शान्ति प्राप्त करने का उत्कृष्ट केन्द्र है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राजस्थान में व्याप्त जल संकट के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि वर्तमान समय जल निकायों को पुनर्जीवित करने का है। राजस्थान में भूजल स्तर में वृद्धि और स्वच्छ पेयजल पर ध्यान केंद्रित करना होगा तभी गाँवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकता है।

स्वामी जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी के उपयोग में वृद्धि के कारण राजस्थान सहित अन्य शहरों में भी जल प्रबंधन के लिये नए समाधानों को नियोजित किये जाने की आवश्यकता है। राजस्थान में जल के मुद्दों को हल करने के लिये समग्र और प्रणालीगत समाधान लागू किये जाने की आवश्यकता है।

स्वामी जी ने कहा कि सम्पूर्ण मानवता के लिये जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व की लगभग 17 प्रतिशत आबादी वाला राष्ट्र भारत विश्व के ताजे जल संसाधनों का मात्र 4 प्रतिशत ही रखता है, इसलिये जल के विवेकपूर्ण उपयोग और कुशलता पूर्वक उपयोग पर ध्यान देना होगा।