प्रसिद्ध भागवताचार्य श्री संजीव कृष्ण शास्त्री जी आये परमार्थ निकेतन

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भागवताचार्य श्री संजीव कृष्ण शास्त्री जी ने परमार्थ निकेतन में भेंटवार्ता की। स्वामी जी ने प्रसिद्ध कथावाचक श्री संजीव कृष्ण जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर हरित व पर्यावरण को समर्पित कथाओं के आयोजन का संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में ब्रज भूमि का स्वरूप निरंतर निखरता जा रहा है। शीघ्र ही हम सभी स्वच्छ, निर्मल और अपशिष्ट मुक्त यमुना जी के प्रवाह के दर्शन भी कर पायेंगे।

इस अवसर पर चर्चा हुई कि केसी घाट से लेकर देवराह बाबा घाट तक व्यवस्थित घाट बन जाये और सभी घाटों पर आरती शुरू हो तो पूरे क्षेत्र में विलक्षण परिवर्तन होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ब्रज की धरती का सौभाग्य है कि इस धरती के पास तो अनेकानेक सुप्रसिद्ध कथाकार हैं। कान्हा की इस धरती ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को अनेक कथाकार दिये हैं। इस दिव्य धरती के कथाकार चाहे तो एक सप्ताह या दो सप्ताह की यमुना आरती की सेवा सम्भाल लें तो बहुत बड़ा और अद्भुत परिवर्तन हो सकता है। वहां पर आरती का क्रम शुरू हो जाये तो पर्यावरण संरक्षण का संकल्पों के सााथ ही प्रदूषित हो रहे जल को स्वच्छ किया जा सकता है, प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया जा सकता है।

स्वामी जी ने कहा कि ब्रज की धरती तो जल को प्रदूषण से मुक्त करने का संदेश वर्षों से देते आयी है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने यमुना जी को कालिया नाग के विष से मुक्त कराया था। अगर हम अपने जीवन, इस दुनिया और पर्यावरण में सकारात्मक परिवर्तन करना चाहते हैं तो हमें यह ध्यान देना होगा कि हम अपने द्वारा कहां-कहां प्रदूषण कर रहे हैं। प्रदूषण चाहे विचारों का हो या पर्यावरण का दोनों को समाप्त करने के लिये जागरूकता और समेकित प्रयास जरूरी है। अब समय आ गया है कि यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करने के लिये सभी कान्हा बनाकर आगे आयें और यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करने हेतु अपना योगदान प्रदान करें।

स्वामी जी ने कहा कि जब बात यमुना जी कि हैं तो आईये सब बनें कान्हा और यही कान्हा जी के प्रति हमारी आस्था, श्रद्धा और पूजा होगी। पर्यावरण चेतना को सुगम बनाने के लिये आस्था आधारित संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। कथाओं के माध्यम से जनसमुदाय को पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिये प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि यमुना जी के तटों पर भी परमार्थ निकेतन की तरह यमुना जी की आरती का क्रम शुरू करने की प्रबल इच्छा है। उन्होंने बताया कि घाटों को व्यवस्थित करने हेतु विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष से चर्चा भी हुई है कि केसी घाट से देवराह बाबा घाट तक घाट पूरा बना दिया जाये और फिर वहां पर विशाल रूप में यमुना जी की आरती का दिव्य क्रम शुरू किया जाये, हमने प्रभु के श्री चरणों में माँ यमुना जी के लिये प्रार्थना की है जो अवश्य ही पूर्ण होगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री संजीव कृष्ण शास्त्री जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।