परमार्थ निकेतन में स्वामी नारायण आश्रम सूरत से कई युवा संत पधारे। युवा संतों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर सनातन संस्कृति, संस्कार, पर्व और अध्यात्म से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवा संतों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर ’मेरी माटी-मेरा देश’, माटी को नमन-वीरों का वंदन अभियान से जुड़ने का आह्वान करते हुये कहा कि भारत के 77 वें स्वतंत्रता दिवस को और गौरवान्वित करने के लिये माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चलाये जा रहे राष्ट्रव्यापी ‘जन भागीदारी’ पहल हेतु सभी मिलकर योगदान प्रदान करे। इस अभियान के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी को 7500 कलशों में इकट्ठा कर इस मिट्टी का उपयोग दिल्ली में कर्तव्य पथ के निकट “अमृत वाटिका” नामक उद्यान बनाने में किया जाएगा। 75 वां आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के समापन अवसर पर हम सभी आध्यात्मिक संगठन 75 पौधों का रोपण कर वसुधा वंदन-अमृत वाटिका अभियान को सफल बनाने हेतु योगदान प्रदान करें। यह एक सुअवसर है जब हम अपनी धरती; अपनी मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा सकते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवा संतों को संदेश देते हुये कहा कि प्राचीन काल से ही शांति एवं सद्भाव भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएं रही हैं। भारत शान्ति, अहिंसा और सद्भाव की जन्मस्थली है। भारत ने दुनिया भर में शांति एवं मानवता का संदेश दिया है। “वसुधैव कुटुंबकम” की अवधारणा हमारी संस्कृति की प्रमुख विशेषता रही है। भारत ने सदैव ही सहिष्णुता को ही बढ़ावा दिया है।
वर्तमान समय में वैश्विक शांति संपूर्ण विश्व की आवश्यकता है परन्तु हमारा सौभाग्य है कि हमारे डीएनए में ही शान्ति की संस्कृति विद्यमान है। आप सभी युवा संत इस गौरवशाली संस्कृति को लेकर आगे बढ़ते रहें और मानवता के हितों के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण हेतु भी अपना योगदान प्रदान करें।
इस अवसर पर अखंड स्वामी, अलौकिक स्वामी, पूर्णानन्द दास स्वामी आदि अनेक संत उपस्थित थे। युवा संतों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को आध्यात्मिक भेंट अर्पित करते हुये स्वामी नारायण आश्रम सूरत आने हेतु आमंत्रित किया।